गोधरा कांड में नरेंद मोदी को आरोपी बनाने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ ने रची थी साजिश, रिश्वत के दम पर ख़रीदे थे गवाह !
सीतलवाड़ ने रिश्वत के दम पर ख़रीदे थे गवाह ! 27 फ़रवरी 2002 को गुजरात के रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एस-6 नंबर कोच को भीड़ द्वारा आग के हवाले कर दिया गया था l जिसमें की 59 कारसेवको को जिंदा ही जला दिया था l और इस घटना के बाद 1400 के करीब लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गयी थी l गुजरात में भड़के दंगे को चाहे 14 साल हो गए हो, भले ही गुजरात के उस समय के मुख्यमंत्री मोदी इस समय भारत के प्रधानमंत्री बन गए हो, पर इस घटना का दंश नरेंद मोदी ने पूरे 9 साल सहन किया हैl कुछ सामजिक कार्यकर्ताओं ने ईमानदारी का चोला पहनकर अपनी जेब भरी, उनमें से एक थी तीस्ता सीतलवाड़ l इस घटना के बारे आप सभी जानते है, पर अब जो सच सामने आएगा उसके बाद आपको खुद पता चल जायेगा की कैसे इन लोगों ने धन के बल पर गुजरात दंगो की गवाही के लिए गवाह खड़े किए l आगे देखिये तीस्ता सीतलवाड़ का सच :- तीस्ता सीतलवाड़ यह वो सामाजिक कार्यकर्ता है जिसने गोधरा कांड और गुलबर्ग सोसाइटी के नाम पर चंदा लेकर सिर्फ अपने शौक पूरा किया, 2002 में हुए गुलबर्ग सोसाइटी दंगे में अपने परिवार के तीन व्यक्तियों को खोने वाले फ़िरोज़ सईद ख़ान पठान की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने यह मामला दर्ज किया है l पठान ने आरोप लगाया कि तीस्ता ने गुलबर्ग सोसाइटी की फोटो और वीडियो लोगों को दिखा दिखा कर काफी चंदा इकठ्ठा किया l आरोप है कि दान में मिले 1 करोड़ 51 लाख रुपयों का तीस्ता और कुछ अभियुक्तों ने अपने निजी कामों के लिए इस्तेमाल किया है l गुजरात दंगो पर सबसे ज्यादा आँसू बहाने वाली तीस्ता सीतलवाड़ ने इस घटना के लिए नरेंद मोदी को पानी पीकर पीकर कोसा था l आगे देखिये अंग्रेजी न्यूज़पेपर ने कैसे खोली पोल :- गोधरा कांड में नए तथ्य सामने आ रहे है गुजरात दंगो में गवाहों से बयान दिलवाने के लिए काफी पैसा दिया गया था l जो लोग दंगो के शिकार हुए थे और चश्मदीद गवाहों को 1 लाख 50 हज़ार दिए गए और जो लोग केवल दंगा पीड़ित थे उनको सिर्फ पांच पांच हज़ार रूपए दिए गए l एक अंग्रेजी अख़बार 20 दिसम्बर 2008 में छपी ख़राब के मुताबिक गुजरात के विवादास्पद गैर सरकारी संगठन सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस जिसकी अध्यक्ष खुद तीस्ता सीतलवाड़ है, तीस्ता ने गुजरात दंगो के अलग अलग मामलों में गवाहों को एक एक लाख रूपए दिलवाने का प्रबंध भी किया था l और यह पैसा माकपा राहत कोष से आया और यह पैसा दंगो के पांच साल बाद दिया गया l