योगी ने बढ़ाया भगवा का जलवा, युवाओं की पहली पसंद बना भगवा, दुकानों पर डिस्प्ले में भगवा सबसे आगे1/5/2017 लखनऊ । योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही भगवा रंग फैशन बन गया। भाजपा कार्यालय हो या पार्टी के कार्यक्रम और यहां तक कि लगभग हर सार्वजनिक जगह पर कुछ लोग भगवा या इससे मिलते-जुलते रंग के कुर्ते, गमछे या जैकेट में अब अधिक दिखने लगे हैं।
राजनीतिक कार्यकर्ताओं के जमघट वाले दारुलशफा स्थित विधायक निवास के भीतर और सड़क के किनारे फुटपाथ व गुमटी में लगी दुकानों के डिस्प्ले पर अब सिर्फ भगवा है। कहीं योगी की तस्वीर के रूप में और कहीं कुर्ता और जैकेट में। भगवा गमछा भी सुपर हिट हो रहा है तो जैकेट भी पीछे नहीं। दुकानों के डिस्पले में भी भगवा ही सब पर भारी है। अब भगवा रंग के रेडीमेड कॉलर वाले कुर्ते और जैकेट हाजिर हैं। यहां 100 रुपये में पायजामा और 200-250 रुपये में कुर्ता भी मिल रहा है। राष्ट्रीय लोकदल कार्यालय से लगी एक दुकान पर मोलभाव कर रहे 30 साल के रवि वाल्मीकि से मुलाकात होती है। बोले, पहली बार इस रंग का गमछा ले रहा हूं। दुकानदार विनोद के मुताबिक नेताओं व राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पसंद सफेद था लेकिन, फिलहाल तो सफेद को भगवा ने पछाड़ दिया है। दारुलशफा के भीतर की दुकानों पर भी भगवा ही लहरा रहा था। यहां दुकान लगाने वाले हैदर अली के मुताबिक भगवा रंग वाले कपड़ों की बिक्री दोगुने से अधिक हो गई है। पहले तो अमूमन सफेद रंग के कपड़े ही बिकते थे। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अधिकांश सफेद कपड़े पहनते, लिहाजा उस समय इनकी ही सर्वाधिक बिक्री थी। एक अन्य दुकानदार हिदायत इस्लाम भी हैदर की बात को पुष्ट करते हैं। पास में ही महमूद आलम की सिलाई की दुकान है। आलम भगवा रंग के एक कुर्ते को अंतिम रूप देने में लगे थे। उन्होंने बताया कि उनके यहां दिनभर में कुर्ते एवं पायजामे के लगभग 20 सेट तैयार हो जाते हैं। दो हफ्ते से इन सेटों में आधे से अधिक भगवा हैं। महाराज जी यानि मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ के लिए सफेद सूती कपड़े आमतौर पर गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित गांधी आश्रम भंडार से खरीदे जाते हैं। इनको भगवा बनाने के लिए रंग हरिद्वार से आता है। गोरखपुर में ड्राइक्लीनिंग की कुछ चुनिंदा दुकानों को वह रंग और कपड़ा मुहैया करा दिया जाता है जहां से रंग कर आने के बाद कपड़ा सिलाई के लिए जाता है। सिलाई बुद्धिराम भारती करते हैं। मंदिर परिसर में बुद्धिराम को स्थायी दुकान आवंटित है। ब्रह्मलीन अवेद्यनाथ के कपड़े भी बुद्धिराम ही सिलते थे। योगी का कुर्ता बिना कॉलर का होता है। सीजन के अनुसार यह हाफ या फुल हो सकता है। जाड़े में ऊनी कपड़े हो जाते हैं। इस दौरान कंधे पर ऊनी शाल अनिवार्य रूप से रहता है। मोजे भी आमतौर पर रंगवाने ही पड़ते हैं।
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